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सावधान, यह वायरस चोर है !

वायरस एक बार हटाने के बाद ख़ुद को फिर से इंस्टाल कर लेता है सुरक्षा विशेषज्ञों ने एक विंडोज़ वायरस की चेतावनी दी है जो आपके कंप्यूटर से आपके...

वायरस एक बार हटाने के बाद ख़ुद को फिर से इंस्टाल कर लेता है
सुरक्षा विशेषज्ञों ने एक विंडोज़ वायरस की चेतावनी दी है जो आपके कंप्यूटर से आपके ऑनलाइन बैंक खाते के लॉगइन विवरण चुरा लेता है.
पिछले महीने इस वायरस ने कोई पाँच हज़ार लोगों को अपना शिकार बनाया है. इनमें से ज़्यादातर लोग यूरोप में रहने वाले हैं.

ज़्यादातर लोग माइक्रोसॉफ़्ट के ब्राउज़र से कुछ ऐसी वेबसाइटों पर जाकर इस वायरस के शिकार हुए जो सुरक्षित नहीं है.

विशेषज्ञों का कहना है कि यह वायरस ख़तरनाक है क्योंकि यह विंडोज़ सिस्टम के भीतर कहीं जाकर छिप जाता है जिससे इसे तलाशना कठिन हो जाए.

पुरानी ट्रिक

यह प्रोग्राम एक पुराने वायरस की तरह है जिसे 'रूटकिट' के रुप में जाना जाता है.

यह वायरस कोशिश करता है कि कंप्यूटर के हार्डड़्राइव में मास्टर बूट रिकॉर्ड पर सबकुछ को मिटा दे.

मास्टर बूट रिकॉर्ड (एमबीआर) वही उपकरण होता है जिसकी कंप्यूटर को तब ज़रूरत पड़ती है जब हम कंप्यूटर चलाना शुरु करते हैं.

सुरक्षा कंपनी साइमनटेक के ब्लॉग पर एलिया फ़्लोरियो ने लिखा है, "यदि आप एमबीआर पर अपना नियंत्रण रखते हैं तो आप ऑपरेटिंग सिस्टम पर नियंत्रण रखते हैं और इसी से कंप्यूटर आपके नियंत्रण में रहता है."

उनका कहना है कि ये वायरस कंप्यूटर पर अपना कब्ज़ा करने के लिए उस तारीख़ से काफ़ी आगे की तारीख़ का उपयोग करते हैं जिस तारीख़ को विंडोज़ ने एमबीआर का उपयोग किया हो.

एक बार यह वायरस कंप्यूटर में इंस्टॉल हो गया तो ये ख़ुद ही की-लॉगर्स जैसे सॉफ़्टवेयर कंप्यूटर में डाउनलोड कर लेता है जिससे कि महत्वपूर्ण जानकारियाँ चुराई जा सकें.

इस प्रोग्राम की ख़ासियत यह है कि यह कंप्यूटर पर इस बात का इंतज़ार करता रहता है कि उपयोगकर्ता कब इसमें अपने बैंक खाते को लॉग-इन कर करता है.

इस प्रोग्रोम में दुनिया के 900 वित्तीय संस्थाओं के विवरण उपलब्ध हैं.

रुसी वायरस

विशेषज्ञों का कहना है कि यह वायरस एक रुसी समूह ने बनाया होगा और इसे अब तक दुनिया भर के दो लाख कंप्यूटर तक पहुँचाया जा चुका है.

यह समूह बैंक खातों के विवरण चुराने का काम करता है.

सुरक्षा एजेंसी आई-डिफ़ेंस ने इस वायरस का पता अक्तूबर में लगाया था लेकिन इसने कंप्यूटरों को दिसंबर में शिकार बनाना शुरु किया.

इस कंपनी ने 12 दिसंबर से सात जनवरी के बीच पाँच हज़ार कंप्यूटरों पर इस वायरस का पता लगाया.

इस वायरस की सबसे ख़तरनाक बात यह पता चली है कि एक तो यह विंडोज़ में कहीं भीतर जाकर छिप जाता है और दूसरे यह कि यदि इसे एक बार एंटी-वायरस सिस्टम से निकाल दिया जाए तो यह दूसरी बार भी ख़ुद को इंस्टाल कर लेता है.

कंप्यूटर कंपनियों का कहना है कि विंडोज़-एक्सपी, विंडोज़-विस्टा, विंडोज़ सर्वर 2003 और विंडोज़ 2000 पूरी तरह से सुरक्षित नहीं हैं और इस तरह के वायरस के शिकार हो सकते हैं.

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